लाल नहीं, काली गाजर की खेती से किसानों को मिलेगा ज्यादा मुनाफा

काली गाजर की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ रही है. इसका उपयोग जूस, दवा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में किया जाता है.

लाल नहीं, काली गाजर की खेती से किसानों को मिलेगा ज्यादा मुनाफा
Noida | Updated On: 8 Mar, 2025 | 05:53 PM

किसान हमेशा ऐसी फसलों की तलाश में रहते हैं, जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा दें. काली गाजर ऐसी ही एक फसल है, जो न केवल पोषण से भरपूर है, बल्कि बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी मिलती है. आमतौर पर किसान नारंगी या लाल गाजर उगाते हैं, लेकिन काली गाजर की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है. आइए जानते हैं कि काली गाजर की खेती किसानों के लिए क्यों फायदेमंद है.

बाजार में ज्यादा मांग और अच्छी कीमत

काली गाजर की मांग सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बढ़ रही है. इसका उपयोग जूस, दवा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में किया जाता है. सामान्य गाजर की तुलना में इसकी कीमत ज्यादा होती है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है.

सेहत के लिए सुपरफूड

काली गाजर में एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर में सूजन और कई बीमारियों को रोकने में मदद करता है. इसमें आयरन, फाइबर और विटामिन भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे यह सुपरफूड की श्रेणी में आती है. लोग इसे हेल्दी डाइट में शामिल कर रहे हैं, जिससे इसकी मांग बढ़ रही है.

कम लागत, ज्यादा उत्पादन

काली गाजर की खेती में ज्यादा खाद या कीटनाशकों की जरूरत नहीं होती, जिससे लागत कम आती है. यह ठंडी जलवायु में आसानी से उगाई जा सकती है और कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है.

मिट्टी और जलवायु के अनुकूल

उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में यह आसानी से उगाई जा सकती है. खासतौर पर उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश के किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

रोगों से लड़ने की क्षमता

काली गाजर में प्राकृतिक रूप से रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है, जिससे यह कम बीमारियों का शिकार होती है. इससे किसानों का नुकसान कम होता है और उत्पादन बेहतर होता है.

 

Published: 9 Mar, 2025 | 12:00 PM

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