सेब की कहानी- एक विदेशी की मेहनत से हिमाचल बना सेब का सरताज

भारत में सेब की सबसे पुरानी जानकारी "राजतरंगिणी" नाम की किताब में मिलती है. यह किताब 1000 ईसा पूर्व लिखी गई थी और इसमें कश्मीर के सेब का जिक्र है.

सेब की कहानी- एक विदेशी की मेहनत से हिमाचल बना सेब का सरताज
नोएडा | Published: 9 Apr, 2025 | 02:38 PM

भारत में सेब की कहानी बहुत पुरानी और दिलचस्प है. भले ही सेब की शुरुआत चीन, कजाखस्तान और किर्गिस्तान जैसे देशों से हुई हो, लेकिन भारत में भी यह फल हजारों सालों से उगता आ रहा है. आज हिमाचल प्रदेश को भारत का “सेब राज्य” कहा जाता है. इस सफर में एक खास नाम है-सैमुअल स्टोक्स, एक अमेरिकी नागरिक, जिन्होंने हिमाचल में सेब की खेती को बढ़ावा दिया. तो चलिए जानते हैं भारतीय खट्टे से लेकर मीठे सेब होने के रामंचक इतिहास को.

भारत में सेब का इतिहास

भारत में सेब की सबसे पुरानी जानकारी “राजतरंगिणी” नाम की किताब में मिलती है. यह किताब 1000 ईसा पूर्व लिखी गई थी और इसमें कश्मीर के सेब का जिक्र है. छठी सदी में भारत आए चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी भारत में सेब को देखा और अपनी किताब में इसका नाम लिखा.

बाद में, 14वीं सदी में फिरोज शाह तुगलक के शासन में भी कश्मीर में सेब की खेती की जाती थी. मुगल बादशाहों की रसोई में भी सेब का इस्तेमाल होता था.

बाहर से आते थे मीठे सेब

1870 में एक अंग्रेज अफसर कैप्टन स्कॉट ने हिमाचल के कुल्लू में सेब के पेड़ लगाए. लेकिन ये सेब बहुत खट्टे थे और लोगों को पसंद नहीं आए. उस समय भारतीय व्यापारी जापान से मीठे सेब मंगवाते थे, जो ज्यादा पसंद किए जाते थे.

सैमुअल स्टोक्स: हिमाचल के सेब वाले बाबा

1904 में अमेरिका से भारत आए सैमुअल स्टोक्स. वे कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए आए थे, लेकिन गर्मी और धूल से परेशान होकर हिमाचल के कोटगढ़ इलाके में रहने लगे. यहीं उन्होंने खेती करने का फैसला किया.

1912 में उन्होंने एक स्थानीय लड़की अग्नेस से शादी की और कोटगढ़ में ही अपना फार्म शुरू किया. 1916 में वे अमेरिका गए और वहां से मीठे “रेड डिलीशियस” सेब के पौधे लेकर आए. ये पौधे उन्होंने हिमाचल की मिट्टी में लगाए. बाद में उनकी माँ ने उन्हें “गोल्डन डिलीशियस” सेब के पौधे भेजे.

1926 में उन्होंने पहली बार इन मीठे और सुंदर सेबों को बाजार में बेचना शुरू किया. हिमाचल के किसानों को ये सेब बहुत पसंद आए और उन्होंने भी इसकी खेती शुरू कर दी.

हिमाचल बनी सेब की राजधानी

धीरे-धीरे हिमाचल के किसान आलू और बेर जैसी फसलों को छोड़कर सेब की खेती करने लगे. सैमुअल स्टोक्स की मदद से उनकी आमदनी बढ़ी और कोटगढ़ का इलाका सेब से भर गया. 1932 तक भारत को जापानी सेब मंगवाने की जरूरत नहीं रही, क्योंकि शिमला और किन्नौर के सेब देश भर में बिकने लगे.

आज भारत में सेब की खेती

आज भारत में सबसे ज्यादा सेब कश्मीर में होते हैं. उसके बाद हिमाचल और फिर उत्तराखंड का नंबर आता है. हिमाचल के सेब जैसे रेड डिलीशियस, गोल्डन डिलीशियस, लाल अंबरी और चौबटिया अनुपम काफी पसंद किए जाते हैं.

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