मछुआरों को नाव खरीदने में मदद दे रही सरकार, जानिए कैसे करें आवेदन
सरकार मछुआरों को नाव, जाल और अन्य उपकरण खरीदने के लिए 40 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है. इस योजना का लाभ परंपरागत मछुआरा समुदाय को मिलेगा, जानिए कैसे करें आवेदन.

उत्तर प्रदेश सरकार ने पारंपरिक मछुआरा समुदाय की मदद के लिए एक खास योजना शुरू की है, जिसका नाम है निषादराज बोट सब्सिडी योजना. इसकी शुरुआत साल 2022-23 में हुई थी और यह अभी भी जारी है. इस योजना का उद्देश्य है मछुआरों को नाव, जाल, लाइफ जैकेट और आइसबॉक्स जैसी जरूरी चीजें खरीदने में आर्थिक मदद देना. चलिए जानते हैं, इस योजना का उद्देश्य क्या है?
40 फीसदी तक की सब्सिडी
इस योजना के तहत बिना इंजन वाली नाव (नॉन-मोटराइज्ड बोट), जाल, लाइफ जैकेट और आइसबॉक्स पर 40 फीसदी तक की सब्सिडी दी जाती है. सरकार का मकसद है कि इससे मछुआरे अवैध शिकार से हटकर सुरक्षित और टिकाऊ मछली पकड़ने की ओर बढ़ें, जिससे उनकी आजीविका भी मजबूत हो.
यूनिट लागत 67,000 रुपये तय
योजना के तहत अधिकतम 67,000 रुपये की यूनिट लागत निर्धारित की गई है, जिसमें करीब 50,000 रुपये तक की नाव और 17,000 तक के अन्य उपकरण (जैसे जाल, जैकेट, आइसबॉक्स) शामिल हैं. सरकार इस पर 26,800 रुपये तक की सब्सिडी देती है. बाकी रकम लाभार्थी को स्वयं या बैंक लोन के माध्यम से जुटानी होती है. इतना ही नहीं मत्स्य विभाग के दी गई जानकारी के अनुसार योजना में सामग्री के क्रय मूल्य में संभावित वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, प्रत्येक वित्तीय साल में इकाई लागत में 5 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी. इस प्रकार, 2026-27 तक योजना के पांचवे साल में इकाई लागत में कुल 20 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है.
कौन ले सकता है लाभ?
इस योजना का लाभ परंपरागत मछुआरा समुदाय ले सकते हैं. जैसे-निषाद, मल्लाह, बिंद, धीमर, केवट, कश्यप, मांझी, कहार, गोडिया, रैकवार, बाथम, तुरैहा, तुराहा को मिलेगा. बशर्ते उनके पास नाव न हो और 0.4 हेक्टेयर या उससे अधिक का तालाब पट्टा या स्वयं का तालाब हो. वहीं वरीयता क्रम की बात करें तो अंत्योदय कार्ड धारकों को पहली, बिना पक्के मकान वाले लोगों को दूसरी और अन्य पात्र व्यक्तियों को तीसरी प्राथमिकता दी जाएगी
कैसे मिलेगा लाभ?
इसके लिए लाभार्थी को पहले नाव, जाल आदि खुद खरीदने होंगे और फिर उनका बिल विभाग में जमा करना होगा. वहीं सब्सिडी पाने के लिए लाभार्थी को अपनी 60 फीसदी हिस्सेदारी पहले ही चुकानी होगी, चाहे वह अपनी पूंजी से हो या बैंक लोन के जरिए.