गरीबी के दिनों को पीछे छोड़, अब फूलों से 5 करोड़ रुपये कमाता है ये किसान
1995 में बेंगलुरु वापस लौटकर अपने आइडिया पर काम शुरू कर दिया. शुरुआत में वह महीने का 1000 रुपये ही कमा पाते थे.

कहते हैं मेहनत करने वालों की कभी बार नहीं होती. बेंगलुरु में रहने वाले श्रीकांत बोल्लापल्ली पर यह लाइन एकदम फिट होती है. बचपन में बेहद गरीबी देखने के बाद श्रीकांत सालाना करोड़ों रुपये कमा रहे हैं. हैरानी की बात ये है कि 40 साल की उम्र में, श्रीकांत अपनी फूलों की खेती से शानदार मुनाफा कमा रहे हैं. आज वह बेंगलुरु के डोडबल्लापुरा के पास 40 एकड़ जमीन पर 12 किस्म के फूल उगाते हैं.
श्रीकांत का फूलों का कारोबार आज पूरे देश में फैल चुका है. उनके टर्नओवर की बात करें तो वह 70 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जबकि उनकी सालाना आमदनी 5 करोड़ रुपये है. सिर्फ इतना ही नहीं कर्नाटक के ग्रामीण इलाकों से 200 से ज्यादा लोगों को वह अपने खेतों में काम दे रहे हैं. लेकिन उनकी सफलता का सफर इतना आसानी नहीं था.
गरीबी में गुजरा बचपन
श्रीकांत का जन्म तेलंगाना के निजामाबाद जिले में एक किसान परिवार में हुआ था. बचपन से ही उन्हें खेती से प्यार था, लेकिन उनकी ज़िंदगी में मुश्किलें भी बहुत थीं. वह बताते हैं कि ‘हमारे हर की स्थिति बहुत खराब थी और हम कर्ज में डूबे हुए थे. खेती से कोई फायदा नहीं हो पाता था. एक दिन जब मैं दसवीं कक्षा में था, तब मेरे माता-पिता ने मुझे बताया कि पैसों की कमी की वजह से वह मेरी पढ़ाई नहीं करवा सकते.”
आगे वह बताते हैं, “ जब मैं 16 साल का था, तब परिवार की मदद के लिए खेतों में काम करना शुरू कर दिया था. एक दिन मैं अपने रिश्तेदार के पास बेंगलुरु गया, जहां मैंने उनसे सुना था कि कई इलाकों में फूलों की खेती की जा रही है, तो मैंने वहां काम करने का फैसला किया.”
1995 में बेंगलुरु वापस लौटकर अपने आइडिया पर काम शुरू कर दिया. शुरुआत में वह महीने का 1000 रुपये ही कमा पाते थे. कम पैसों के बावजूद, उन्होंने मेहनत की और जल्दी ही फूलों की खेती, उगाई, कटाई, विपणन और निर्यात के सारे पहलुओं को सीख लिया.
अपना बिजनेस शुरू
श्रीकांत ने इस बिजनेस में बहुत सी संभावनाएं देखी और खुद का कुछ करने का निर्णय लिया. उस समय उनके पास बहुत कम पैसे थे, लेकिन उन्होंने फूलों की खरीद-फरोख्त शुका काम शुरू कर दिया. फिर 1997 में उन्होंने बेंगलुरु में अपनी छोटी सी फूलों की दुकान खोली. जिसके बाद वह 10 साल तक यही काम करते रहे, और अच्छा मुनाफा कमाया. फिर उन्हें एहसास हुआ कि खुद फूल उगाने से उन्हें ज्यादा फायदा होगा.
ऐसे शुरू हुई खेती
फूलों की खेती शुरू करने के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी निवेश. श्रीकांत ने खेती करने के लिए अपनी कुछ बचत के साथ-साथ सरकार से भी सहायता ली. उन्होंने नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड से लोन और सब्सिडी प्राप्त की और 10 एकड़ जमीन खरीदी. अब उनके पास 52 एकड़ का फार्म है. जिसमें वह 12 प्रकार के फूल जैसे गुलाब, गेरबेरा, कारनेशन, जिप्सोफिला आदि लगाते हैं. ये सभी फूल ऑर्गेनिक तरीके से ग्रीनहाउस और पॉलीहाउस में उगाए जाते हैं.
फूलों की देखभाल
श्रीकांत कहते हैं, “हम अपने फूलों की खेती में जितना हो सके ऑर्गेनिक और सस्टेनेबल तरीके अपनाने की कोशिश करते हैं. जो भी कचरा बचता है, उसे हम वर्मी कंपोस्ट में बदलते हैं, जिसे फिर पौधों में खाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.”
सफलता के मंत्र
श्रीकांत किसानों को संदेश दे हुए कहते हैं कि “समाज में खासकर युवाओं में यह धारणा बन गई है कि खेती में मुनाफा नहीं होता, लेकिन अगर सही तरीके से काम किया जाए तो इसमें बहुत पैसा है.” फूल उगाने की कला में बहुत मेहनत के साथ साथ धैर्य की जरूरत होती है. आपको खुद भी इस काम में लगाना होगा, जैसे फूलों की देखभाल, पानी देना, कीटों को नियंत्रित करना आदि. अगर आपके पास संकल्प है, तो कुछ भी असंभव नहीं है.