मंडी में टमाटर के दाम 2 रुपये किलो तक गिरे, ये किस्में दिला सकती हैं मुनाफा
टमाटर का दाम 2 से 6 रुपये किलो पर सिमटा, किसानों ने चेवेल्ला में सड़कों पर फेंककर संकट बयां किया. फसल ज्यादा, मांग कम—मेहनत की कमाई मंडी में डूबी.

एक तरफ महंगाई की चीख-पुकार, दूसरी तरफ टमाटर सड़कों पर बिखरा हुआ. तेलंगाना से मध्य प्रदेश तक, टमाटर की कीमतें इतनी लुढ़क गई हैं कि किसानों का सब्र जवाब दे गया. 2 से 6 रुपये किलो के दाम, ट्रांसपोर्ट का खर्चा भी न निकलना, और मेहनत का सौदा मिट्टी में- ये हाल अब किसानों के लिए आफत बन चुका है. तो क्या है ये माजरा, और इसका हल क्या है? चलिए, इसे सिलसिलेवार समझते हैं.
कीमतें गिरीं, किसान टूटा
तेलंगाना में टमाटर का हाल देखिए जो कभी सोने की कीमत छूता था, वो आज 2 से 6 रुपये किलो पर ठहर गया. 25 किलो की क्रेट 50 से 150 रुपये में बिक रही है. अब आप ही बताइए, जब ट्रक का भाड़ा और मजदूर का पसीना भी इससे ज्यादा खा जाए, तो किसान के हाथ क्या लगे? चेवेल्ला बाजार में किसानों का गुस्सा फूट पड़ा. सड़कों पर टमाटर फेंककर उन्होंने बता दिया कि अब हद हो चुकी है. उनका कहना है, “इतने में तो बीज का खर्चा भी नहीं निकलता, मेहनत की बात तो छोड़ ही दो.” कुछ महीने पहले तक टमाटर की चमक थी, लेकिन अब बंपर फसल और मांग की कमी ने सारा खेल बिगाड़ दिया. ट्रक भरवाओ, मंडी ले जाओ, और फिर भी जेब खाली. यही किसानों की मजबूरी बन गई. सड़कों पर लाल टमाटरों का ढेर और किसानों की आंखों में निराशा साफ दिख रही है.
मध्य प्रदेश में भी यही कहानी
इंदौर की मशहूर देवी अहिल्याबाई होलकर मंडी में टमाटर 2 रुपये किलो तक गिर गया. नई फसल की बाढ़ ने दामों को तहस-नहस कर दिया. हरी सब्जियाँ भी सस्ती हुईं, जिससे आम आदमी की थाली में राहत तो आई, लेकिन खेत में मेहनत करने वाले किसान की हालत पतली हो गई. वहां के किसान संगठन सरकार से चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे हैं कुछ करो, वरना टमाटर की खेती हमें ले डूबेगी.
क्या है इसकी वजह
सारा खेल सप्लाई और डिमांड का है. फसल ज्यादा, खरीदार कम. यही कारण है कि बाजार डूब गया. ऊपर से कोल्ड स्टोरेज का टोटा और ट्रांसपोर्ट का बढ़ता खर्चा. ऐसे में किसान कहां जाए? जब दाम लागत से भी कम हों, तो टमाटर फेंकना ही उनकी आखिरी चीख बन गया.
कौन सी किस्में दिलाएंगी बेहतर दाम?
इस संकट से निकलने का रास्ता है सही किस्मों का चुनाव. ऐसी टमाटर की किस्में लगाइए जो न सिर्फ पैदावार दें, बल्कि मंडी में अच्छा भाव भी लाएं. चलिए जानते हैं की वो कौन से किस्में है जो आपको मार्केट में सही रेट दिला सकती हैं.
- पूसा रोहिणी मजबूत है, रोगों से लड़ने में माहिर है, इसका रंग और टिकाऊपन व्यापारियों को पसंद आता है, इसलिए कीमत भी ठीक मिलती है.
- पूसा सदाबहार लंबे समय तक ताज़ा रहता है, जल्दी बेचने का दबाव नहीं पड़ता, सही वक्त पर अच्छा भाव तय है.
- अर्का विकास स्वाद और गुणवत्ता में कमाल है, मंडी में इसकी मांग बनी रहती है, मुनाफा भी अच्छा मिलता है.
- अर्का सौरभ चमकदार और स्वादिष्ट है, बाजार में इसकी पूछ रहती है,जिससे उनकी कमाई बढ़ती है.
- पंत टी-10 पैदावार में आगे है, रोगों से जंग में उस्ताद है, ये कीमत की राह दिखा सकता है.