भारतीय मूंगफली और गेहूं पर इंडोनेशिया की पैनी नजर, अब होगी सख्त जांच
इंडोनेशिया ने भारतीय कृषि उत्पादों पर नजर रखने के लिए 17 फूड टेस्टिंग लैब को रजिस्टर किया है, ताकि निर्यात से पहले सही जांच हो सके.

अब अगर आप मूंगफली या गेहूं उगाते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है. भारत से मूंगफली और गेहूं खरीदने वाला बड़ा देश इंडोनेशिया अब इन फसलों में पाए जाने वाले जहरीले पदार्थ एफ्लाटॉक्सिन (Aflatoxin) पर कड़ी निगरानी रखने जा रहा है. इंडोनेशिया ने भारतीय कृषि उत्पादों पर नजर रखने के लिए 17 फूड टेस्टिंग लैब को रजिस्टर किया है, ताकि निर्यात से पहले सही जांच हो सके.
क्यों बढ़ाई गई है सख्ती?
एफ्लाटॉक्सिन एक तरह का जहरीला फंगल टॉक्सिन होता है, जो अनाज और तेलवाली फसलों में नमी और खराब भंडारण के कारण पैदा होता है. इंडोनेशिया को चिंता है कि भारत से आने वाले कुछ शिपमेंट्स में एफ्लाटॉक्सिन की मात्रा ज्यादा हो सकती है, जो सेहत के लिए खतरनाक है.
एपीडा ने दी सख्त चेतावनी
भारतीय कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने सभी मान्यता प्राप्त लैब को सलाह दी है कि वे इंडोनेशिया की तय मानकों के अनुसार ही मूंगफली और उससे बने उत्पादों की जांच करें. इन मानकों में एफ्लाटॉक्सिन के अलावा कीटनाशक अवशेष, भारी धातुएं और माइक्रोबायोलॉजिकल पैरामीटर भी शामिल हैं.
इंडोनेशिया को कितना भेजते हैं हम?
भारत हर साल करीब 5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद इंडोनेशिया को निर्यात करता है. इसमें मूंगफली जैसी तिलहन फसलें करीब 1 अरब डॉलर का बड़ा हिस्सा हैं. 2024-25 के अप्रैल से फरवरी के बीच अकेले तिलहन के 273 मिलियन डॉलर के उत्पाद इंडोनेशिया भेजे गए. इसके अलावा मांस, डेयरी और तंबाकू जैसे उत्पाद भी भारत से इंडोनेशिया जाते हैं.
किसानों और निर्यातकों के लिए क्या संदेश?
अगर आप मूंगफली या गेहूं की खेती करते हैं, तो फसल की कटाई और भंडारण में साफ-सफाई और नमी से बचाव जरूरी है. निर्यात से जुड़े व्यापारी और प्रोसेसर अब एफ्लाटॉक्सिन के स्तर की जांच कराना अनिवार्य मानें, क्योंकि अगर उत्पाद मानकों पर खरे नहीं उतरे, तो शिपमेंट रद्द हो सकता है. इसके साथ ही निर्यात को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए सही प्रोसेसिंग, स्टोरेज और लैब जांच पर विशेष ध्यान देना जरूरी है.