भारत-ब्राजील कृषि व्यापार 20 बिलियन डॉलर पहुंचाने की तैयारी, जानिए क्या है प्लान

ब्राजील के पूर्व कृषि मंत्री ने बताया कि करीब 50 साल पहले ब्राजील अपनी 30% खाने की जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर था. लेकिन आज वह 500 बिलियन डॉलर का कृषि निर्यात करता है.

भारत-ब्राजील कृषि व्यापार 20 बिलियन डॉलर पहुंचाने की तैयारी, जानिए क्या है प्लान
नई दिल्ली | Published: 16 Apr, 2025 | 02:06 PM

मंगलवार का दिन साओ पाउलो (ब्राजील) की धरती पर भारत और ब्राजील के रिश्तों के लिए बेहद खास बन गया. भारत के केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्राजील के मशहूर कृषि व्यापार समुदाय के 27 सदस्यों के साथ एक लंबी बातचीत की. इस मुलाकात ने दोनों देशों के बीच खेती और व्यापार में सहयोग की एक नई उम्मीद जगा दी है.

‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना

यह पूरा संवाद भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’, यानी “पूरा विश्व एक परिवार है” से प्रेरित रहा. बातचीत का फोकस भारत और ब्राजील के बीच खेती, तकनीक, और नवाचार को साथ जोड़ने पर था.

खेती से जुड़ी तकनीक

बैठक में कई अहम मुद्दों पर बात हुई, जैसे उन्नत उत्पादन तकनीक, फूड प्रोसेसिंग, बायोफ्यूल और बायोएनर्जी का उत्पादन, और आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) को और बेहतर बनाना. कृषि मंत्री ने खासतौर पर ब्राजील की कृषि मशीनों की तारीफ की, जो कपास और सोयाबीन जैसी फसलों की कटाई में इस्तेमाल होती हैं. उन्होंने कहा कि भारत और ब्राजील साथ मिलकर काम करें, तो पूरी दुनिया की खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिल सकती है.

मिल सकती है नई रफ्तार

ब्राजील के चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रमुख ने बातचीत में बताया कि अभी भारत-ब्राजील का कृषि व्यापार 2 से 3 बिलियन डॉलर का है, लेकिन इसकी संभावना 15 से 20 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की है. ब्राजील से भारत में उर्वरक, सोयाबीन, चीनी, सब्जियां और मांस का निर्यात होता है.

ब्राजील से भारत भी ले सकता है प्रेरणा

ब्राजील के पूर्व कृषि मंत्री ने बताया कि करीब 50 साल पहले ब्राजील अपनी 30% खाने की जरूरतों के लिए विदेशों पर निर्भर था. लेकिन आज वह 500 बिलियन डॉलर का कृषि निर्यात करता है. यह कहानी भारत के लिए भी एक बड़ी प्रेरणा हो सकती है.

रिश्ते होंगे और मजबूत

शिवराज सिंह चौहान ने ब्राजील के कृषि समुदाय को भारत आने का खुला न्योता दिया. उन्होंने कहा कि ऐसी यात्राओं से दोनों देशों के किसान, वैज्ञानिक और व्यापारी आपस में सीख पाएंगे और तकनीकी साझेदारी और भी मजबूत होगी.

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