पंजाब में छोटे किसानों के लिए गेहूं बीज सब्सिडी योजना में बदलाव
पहले केंद्र सरकार की योजना में 5 एकड़ तक के किसानों को सब्सिडी मिलती थी, लेकिन अब पंजाब सरकार ने इसे घटाकर 1 एकड़ तक कर दिया है. इससे छोटे और सीमांत किसानों की संख्या बढ़ेगी.

पंजाब में पांच एकड़ तक जमीन रखने वाले किसानों को अब केंद्र सरकार की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के तहत गेहूं के बीज पर सब्सिडी नहीं मिलेगी. यह योजना पहले इन किसानों को राहत प्रदान कर रही थी, लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है. हालांकि, किसानों को राहत देने के लिए पंजाब सरकार ने एक वैकल्पिक योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसके तहत, राज्य सरकार ‘कृषि उन्नति योजना’ के माध्यम से एक एकड़ तक जमीन वाले किसानों को सब्सिडी पर गेहूं के बीज उपलब्ध कराएगी.
कैसे होगा किसानों को लाभ?
पहले केंद्र सरकार की योजना में 5 एकड़ तक के किसानों को सब्सिडी मिलती थी, लेकिन अब पंजाब सरकार ने इसे घटाकर 1 एकड़ तक कर दिया है. इससे छोटे और सीमांत किसानों की संख्या बढ़ेगी, क्योंकि पंजाब में अधिकतर किसान छोटी जोत वाले हैं. इस बदलाव से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा और वे किफायती दरों पर गेहूं का बीज प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनकी खेती की लागत कम होगी और उत्पादन बढ़ सकेगा.
प्रमाणित गेहूं बीज की बिक्री में देरी
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में पिछले सीजन में प्रमाणित गेहूं के बीजों की बिक्री में देरी हुई थी क्योंकि केंद्र सरकार ने अब तक अपना हिस्सा जारी नहीं किया . साल 2023 में करीब दो लाख क्विंटल प्रमाणित गेहूं के बीज सब्सिडी दर पर किसानों को बेचे गए थे, लेकिन इस साल इसमें अड़चनें आ रही हैं. पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियान ने कुछ महीने पहले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की थी. उन्होंने इस मीटिंग में पंजाब में सब्सिडी योजना जारी रखने और इसके लिए फंड जारी करने का अनुरोध किया.
क्यों बंद हुई गेहूं बीज सब्सिडी?
सूत्रों के मुताबिक, पंजाब को 2024-25 सीजन के लिए ‘राष्ट्रीय कृषि विकास योजना’ (RKVY) में शामिल नहीं किया गया है. हालांकि, पंजाब सरकार ने इस मुद्दे को केंद्र के सामने उठाया था, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है. सब्सिडी की भरपाई के लिए पंजाब सरकार ने 12 करोड़ रुपये की वैकल्पिक योजना तैयार की है. सरकार को उम्मीद है कि केंद्र से 50% सब्सिडी मिलेगी.
क्या होगा छोटे किसानों का समाधान?
एक अधिकारी के मुताबिक, छोटी जोत वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे अपने स्तर पर बीजों की संख्या बढ़ाएं. इससे वे अपने खेतों में भविष्य के लिए बीज संरक्षित कर सकेंगे और सरकारी योजनाओं पर निर्भरता कम होगी. इस फैसले से राज्य के किसानों को शुरुआती परेशानी हो सकती है, लेकिन पंजाब सरकार ने इसे लेकर वैकल्पिक योजनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है.
किन किसानों को होगा फायदा
धान की कटाई के साथ ही पंजाब कृषि विभाग की तरफ से सब्सिडी वाले गेहूं बीजों का वितरण शुरू किया था. साल ने 2023-24 रबी सीजन के लिए पंजाब सरकार ने प्रमाणित गेहूं के बीजों पर 50 फीसदी सब्सिडी देने की घोषणा की थी. यह सब्सिडी प्रति किसान अधिकतम 5 एकड़ तक के लिए उपलब्ध होगी.
क्या था पिछले साल का हाल
साल 2022-23 में प्रति किसान अधिकतम 5 एकड़ (2 क्विंटल बीज) पर सब्सिडी दी गई थी. अनुसूचित जाति, लघु (2.5-5 एकड़) और सीमांत किसानों (2.5 एकड़ तक) को इसमें प्राथमिकता दी गई थी. नए मॉडल के तहत, पंजाब सरकार एक एकड़ तक के किसानों को ही सब्सिडी देगी. इससे अधिक किसानों को फायदा होगा, लेकिन बड़े किसानों का खर्च बढ़ जाएगा.
वर्तमान में बाजार में गेहूं के बीज का दाम 3,000 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल है. पंजाब सरकार की स्कीम के तहत एक एकड़ वाले किसानों को बाजार दर से 1,000 रुपये कम कीमत पर बीज दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि एक किसान को अधिकतम 2 क्विंटल गेहूं बीज दिए जाएंगे.
जिन किसानों के पास एक एकड़ से अधिक जमीन है वे एक एकड़ के लिए हजार रुपये से कम रेट पर गेहूं का बीज खरीद पाएंगे. लेकिन एक एकड़ से अधिक खेत में बुवाई करने के लिए बाजार रेट पर उन्हें बीज खरीदना होगा. इससे उनकी खेती की लागत बढ़ जाएगी. पहले 5 एकड़ तक के किसान सब्सिडी वाले बीज का लाभ उठाते थे. इस बार पंजाब में 35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती होने की उम्मीद है जिसके लिए 35 लाख क्विंटल गेहूं बीज चाहिए होंगे. इसमें से 2 लाख क्विंटल बीज ही सब्सिडी पर दिए जाएंगे जबकि बाकी के 33 लाख क्विंटल बीज बाजार रेट पर खरीदना होगा.
कैसे मिलेगा सब्सिडी वाला बीज?
जिन किसानों के पास एक एकड़ तक की जमीन है, वे सब्सिडी पर 1,000 रुपये तक सस्ता गेहूं बीज खरीद सकते हैं. एक एकड़ से अधिक जमीन वाले किसानों को सिर्फ एक एकड़ के लिए ही सस्ता बीज मिलेगा, बाकी बीज उन्हें बाजार दर पर खरीदना होगा. पहले 5 एकड़ तक के किसानों को यह लाभ मिलता था, लेकिन इस बार इसे सिर्फ 1 एकड़ तक सीमित कर दिया गया है.