MSP पर गेहूं बेचने मंडियों में क्यों नहीं जा रहे किसान? भाव है बड़ी वजह
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के उत्तर प्रदेश महासचिव ने बताया कि पश्चिमी यूपी खासकर बिजनौर की मंडियों में सन्नाटा पसरा है. उन्होंने कहा कि खुले बाजार में किसानों को गेहूं का भाव 2700 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा है.

उत्तर प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू हुए लगभग 10 दिन गुजर चुके हैं. लेकिन, मंडियों में सन्नाटा पसरा हुआ है. पश्चिमी यूपी में किसान सरकारी मंडियों में अपनी उपज बेचने की बजाय निजी ठेकेदारों, आढ़तियों को बिक्री कर रहे हैं. इसकी वजह न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिलना बताया गया है. बिजनौर के किसान नेता ने किसान इंडिया को बताया कि खुले बाजार में अधिक भाव के चलते मंडियों में सरकारी भाव पर गेहूं बेचने से किसान कतरा रहे हैं. इसके चलते मंडियों में सन्नाटा पसरा है.
गेहूं खरीद मंडियों में सन्नाटा
इस बार गेहूं की बंपर पैदावार हुई है. केंद्र सरकार ने 310 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का टारगेट तय किया है. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गेहूं की सरकारी खरीद शुरू भी हो चुकी है. अन्य राज्यों में 1 अप्रैल से खरीद प्रक्रिया शुरू होगी. हालांकि, इस बार किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने की बजाय निजी व्यापारियों से अधिक दाम मिलने पर उन्हें ही फसल बेच दे रहे हैं. इसके नतीजे में मंडियों में सन्नाटा दिख रहा है.
एमएसपी से ज्यादा मिल रहा बाजार में भाव
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के उत्तर प्रदेश महासचिव कैलाश सिंह लांबा ने एग्रीकल्चर न्यूज प्लेटफॉर्म ‘किसान इंडिया’ से बताया कि पश्चिमी यूपी खासकर बिजनौर की मंडियों में सन्नाटा पसरा है. उन्होंने कहा कि खुले बाजार में किसानों को गेहूं का भाव 2700 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा है. जबकि, मंडियों में बिक्री पर सरकारी भाव यानी एमएसपी 2425 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल रही है. ऐसे में किसानों को सीधे-सीधे 275 रुपये प्रति क्विंटल का फायदा हो रहा है. इसलिए किसान मंडियों में गेहूं बेचने नहीं जा रहे हैं.
17 मार्च से चल रही गेहूं की खरीद
यूपी सरकार ने एमएसपी 2425 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर 17 मार्च से राज्यभर में गेहूं की खरीद शुरू कर दी है. लेकिन, किसानों का रुझान एमएसपी बिक्री पर नहीं दिख रहा है. केंद्रीय खाद्यान्न खरीद पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में एमएसपी पर गेहूं बिक्री के लिए 2.98 लाख से ज्यादा किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. किसानों की रुचि नहीं दिखाने से खरीद प्रक्रिया काफी धीमी चल रही है.
बिजली आपूर्ति शिड्यूल बदलने पर भड़के किसान नेता
कैलाश सिंह लांबा ने बिजली के शिड्यूल बदलने के आदेश पर नाराजगी जताए हुए कहा कि इन तीन महीनों में किसानों को सबसे ज्यादा बिजली की जरूरत होती है. लेकिन, राज्य सरकार ने मेरठ, मुरादाबाद और सहारनपुर मंडल के लिए 31 मार्च से बिजली शेड्यूल बदलने का निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि नए शिड्यूल के तहत बिजली आपूर्ति सुबह 5 बजे से 10 बजे तक हो रही है. इसके बाद शाम को 5 बजे से 7 बजे तक दी जा रही है.
बिजली गुल और गुलदार का आतंक
किसान नेता ने कहा कि बिजनौर के इलाके में गुलदार का आतंक है. फसल कटाई का समय चल रहा है और बिजली नहीं मिलने से ग्रामीणों और किसानों की परेशानी बढ़ गई है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि बिजली शिड्यूल को बेहतर करते हुए बिजली आपूर्ति के घंटे बढ़ाए जाएं और दिन में कम से कम 10 घंटे बिजली दी जाए. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि प्रशासन चाहे तो दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक बिजली आपूर्ति बंद कर सकता है.