टमाटर उगाने में 35 हजार खर्च.. भाव मिला डेढ़ रुपये, किसान ने फसल पर चलाया ट्रैक्टर
किसानों को मंडी में टमाटर का भाव नहीं मिलने और ट्रैक्टर से फसल नष्ट करने के मामले में राजनीति गरमा गई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार पर किसानों की उपेक्षा का आरोप लगाया है.

मंडी में टमाटर की कीमत नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. इटावा और औरैया जिले के कुछ किसानों ने अपने खेत में खड़ी टमाटर की फसल में ट्रैक्टर चला दिया है. नाराज किसानों का कहना है कि टमाटर की फसल उगाने में 35 हजार से 50 हजार रुपये तक खर्च हुआ है, लेकिन अब मंडी में टमाटर का भाव डेढ़ रुपये मिल रहा है. किसानों का कहना है कि इससे उनकी फसल तुड़ाई की लागत भी नहीं निकल रही है, मंडी तक ले जाने का खर्चा और उनकी मेहनत तो मिल ही नहीं रही है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने किसानों को कम भाव मिलने के मुद्दे को उठाया है. जिससे इस पर राजनीति गरमा गई है.
35 हजार रुपये लगाए और भाव मिल रहा डेढ़ रुपये
मंडियों में किसानों को टमाटर का भाव कम मिलने और लागत तक नहीं निकलने का मामला गरमा गया है. ताजा मामले में औरैया जिले के मिश्रिख में किसान अशोक गुप्ता ने अपने खेत में टमाटर उगाया था. उनका कहा है कि टमाटर की फसल में उन्होंने 35 हजार रुपये प्रति बीघा खर्च आया है. अब जब फसल तैयार हो गई है तो मंडी में उन्हें टमाटर का भाव डेढ़ रुपये दिया जा रहा है.
टमाटर फसल पर ट्रैक्टर चलाया
किसान अशोक गुप्ता ने कहा कि उन्होंने कर्ज लेकर आठ बीघे में टमाटर की खेती की थी. लेकिन बाजार में भाव नहीं मिलने के चलते उन्होंने अपने टमाटर को गौशाला में डेढ़ रुपये किलो कीमत बेचना पड़ रहा है. किसान ने कहा कि मुनाफा तो बहुत दूर की बात है तुड़ाई तक नहीं निकल पा रही है. जबकि, फसल में लगाया गया पैसा तो डूब ही गया है. वहीं, कुछ किसानों ने अपने टमाटर की खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया है.
टमाटर की कम कीमतों पर बरसे अखिलेश
अखिलेश यादव ने किसानों को मंडी में टमाटर का भाव नहीं मिलने को लेकर भाजपा सरकार को घेरा है. अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर कहा कि यूपी में ‘टमाटर किसानों’ की लागत भी नहीं निकलना बताता है कि भाजपा सरकार खेती-किसानी की कितनी उपेक्षा करती है. दरअसल, भाजपाई उत्पादन में नहीं बल्कि किसी भी चीज को खरीदने-बेचने के काम को बढ़ावा देते हैं, जिससे बीच में कमाया जा सके. भाजपा की सोच अर्थव्यवस्था हो या राजनीति सबमें बिचौलियों वाली है.
यूपी में ‘टमाटर किसानों’ की लागत भी नहीं निकलना बताता है कि भाजपा सरकार खेती-किसानी की कितनी उपेक्षा करती है। दरअसल भाजपाई उत्पादन में नहीं बल्कि किसी भी चीज़ को ख़रीदने-बेचने के काम को बढ़ावा देते हैं, जिससे बीच में कमाया जा सके। भाजपा की सोच अर्थव्यवस्था हो या राजनीति सबमें… pic.twitter.com/MtucJEdNiP
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 7, 2025
भाजपा पर किसानों की उपेक्षा का आरोप
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपाई किसानों की जमीन और कारोबार को बड़े स्तर पर पूंजीपतियों को दे देना चाहते हैं, जिससे उनसे सीधे मोटा चंदा वसूला जा सके. इस बात का प्रमाण वो काले कानून थे, जो भाजपा सरकार अपने गलत मंसूबों की वजह से लाई तो थी परंतु किसानों की जागरूकता और एकता के कारण लागू न कर सकी. इसीलिए भाजपा सरकार खेतीबाड़ी के काम को लगातार हतोत्साहित करती है. भाजपा ने ही अपनी गलत नीतियों की वजह से ‘छुट्टा जानवरों’ की समस्या को जन्म दिया है जिससे फसलें अनाथ पशु खा जाएं और किसान खेती से हताश होकर किसानी का काम छोड़ दे और जमीनों पर भाजपाई पूंजीपतियों का कब्जा हो जाए.