राजस्थान में सरसों खरीद, गुस्साए किसान नेता रामपाल जाट ने याद दिलाया ‘सत्याग्रह’
सरसों सत्याग्रह के लिए 6 अप्रैल 2023 को 8 राज्यों के 101 एक किसानों ने दिल्ली जंतर-मंतर पर उपवास किया था. पिछले तीन सालों से किसानों की ओर से 15 फरवरी से एमएसपी पर सरसों खरीद का अनुरोध किया जा रहा है.

राजस्थान में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों ने सरसों की खरीद शुरू हो गई है. अब किसान नेता मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की इस रणनीति पर सवाल उठाने लगे हैं. इन नेताओं ने सरकार की व्यवस्था को तो घेरे में लिया ही है साथ ही साथ एमएसपी पर भी सवालिया निशान लगाया है. किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने तो सरकार को एक बड़े प्रदर्शन की धमकी तक दे डाली है. आपको बता दें कि राजस्थान में 15 फरवरी से ही सरसों मंडियों में बिकने लगी है. किसानों का आरोप है कि उन्हें एमएसपी से कम दामों पर सरसों बेचनी पड़ रही है.
किसानों को हो रहा आर्थिक नुकसान
रामपाल जाट ने कहा, ’15 फरवरी से सरसों मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में बिक रही है. स्टोरेज की सुविधा और क्षमता की कमी के चलते किसानों को एक क्विंटल पर ही 700 रुपये से ज्यादा का घाटा उठाना पड़ रहा है. सरकार ने अभी तक सरसों खरीद की तारीख भी घोषित नहीं की है. जबकि गेहूं की खरीद 10 मार्च से हो रही है जो अभी खेतों से कटना भी शुरू नहीं हुआ है.’ उनका आरोप है कि पिछले तीन साल से बाजार में सरसों की खरीद एमएसपी से ज्यादा हो, इसको लेकर आंदोलन किया जा रहा है, लेकिन प्रदेश की सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है.
किसानों ने दी प्रदर्शन की चेतावनी
किसानों ने प्रदेश भर में सरसों की खरीद तारीख घोषित करने की मांग को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है. जाट ने कहा कि यह कहावत अब सही साबित होने लगी है कि दर्द हाथ में और उपचार पैर का किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरसों के उत्पादन में राजस्थान देश में पहले नंबर पर है और पूरे देश का आधा उत्पादन सिर्फ राजस्थान में होता है. यह भी खास बात है कि खाद्य तेलों में सरसों का तेल सर्वश्रेष्ठ है. उन्होंने बताया कि इसी तरह की स्थिति हरियाणा जैसे सरसों उत्पादक बाकी राज्यों की भी है.
इस योजना को प्रभावी करे सरकार
रामपाल जाट ने कहा कि सरसों के संबंध में साल 2004 में एमएसपी से ज्यादा बाजार भाव आने तक खरीद चालू रखने का भरोसा दिया गया था. इस आधार पर सरकार किसानों को अब भी विश्वास दिला सकती है. उनका कहना था कि सरकार की तरफ से सहकार किसान कल्याण योजना को प्रभाव में लाकर किसानों को अपनी सरसों घोषित एमएसपी से कम दामों में बेचने की मजबूरी से बचाया जा सकता है. यह वह योजना है जिसमें किसान अपनी सरसों सरकार के गोदाम में रखकर एमएसपी की 75 फीसदी से ज्यादा राशि हासिल कर सकता है. उनकी मानें तो अगर सरकार की इच्छा शक्ति हो तो किसानों को एमएसपी से वंचित नहीं रहना पड़ेगा.
सरकार को दिया जाएगा ज्ञापन
उन्होंने कहा कि किसान अपनी मांगों को लेकर 18 से 20 मार्च तक तहसील, उपखंड एवं जिला स्तर पर ज्ञापनों के माध्यम से आंदोलन करने का निश्चय किया है. इसके बाद राज्य स्तर पर प्रदर्शन-धरना जयपुर में आयोजित किया जाएगा. ज्ञापनों में सरसों की खरीद की घोषणा के साथ पंजीयन का काम आरंभ करने, सरसों के शुद्ध तेल की उपलब्धता के लिए विदेशों से आयातित पाम पदार्थों पर रोक लगने तक आयात शुल्क 300 फीसदी तक करने, मिलावट को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने, राज्य में कमी मूल्य भुगतान का विकल्प चयन करने जैसे तरीकों की मांग की जाएगी. ज्ञापन पर कार्रवाई होने पर सरसों का दाम बढ़कर एमएसपी ज्यादा हो जाएगी. साथ ही देशवासियों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा जिससे बीमारियों पर होने वाला खर्चा घट जाएगा.
फिर से होगा सरसों सत्याग्रह?
रामपाल जाट ने कहा कि पिछले तीन सालों से किसानों की ओर से 15 फरवरी से सरसों खरीद के लिए अनुरोध किया जा रहा है. सरसों सत्याग्रह के लिए 6 अप्रैल 2023 को 8 राज्यों के 101 एक किसानों ने दिल्ली जंतर-मंतर पर उपवास किया था. इसके अतिरिक्त राज्य से लेकर केंद्र के अधिकारियों और शासनकर्ताओं से निरंतर विनती की जा रहा है. इसी कड़ी में 11 फरवरी 2025 को प्रदेश के किसानों ने 15 मार्च तक सरसों को 6000 रुपये प्रति क्विंटल से कम दामों में नहीं बचने का प्रस्ताव पास किया. उसी के संबंध में 15 से लेकर 28 फरवरी तक राज्य में संदेश पहुंचाने के लिए प्रवास किए थे.