महाराष्ट्र में प्याज का मामला गर्माया, कृषि मंत्री से किसानों ने की एक अपील
प्याज निर्यातकों के संगठन बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ (एचपीईए) ने राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे से केंद्र के साथ 20 फीसदी प्याज निर्यात शुल्क को हटाने का अनुरोध किया है.

महाराष्ट्र में प्याज की कीमतों और निर्यात शुल्क का मसला अब तूल पकड़ता जा रहा है. निर्यातक और किसान अब मांग करने लगे हैं कि केंद्र सरकार इसमें हस्तक्षेप करे. पिछले दिनों एक प्रतिनिधिमंडल की तरफ से राज्य के कृषि मंत्री से मुलाकात कर अपील की गई है कि वह केंद्र सरकार के सामने इस मसले को रखें. वहीं प्रदर्शन के बाद नासिक में लासलगांव एपीएमसी में प्याज की नीलामी फिर से शुरू हो गई. नीलामी प्याज की गिरती कीमतों को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के एक दिन बाद ही शुरू हुई है.
किसानों को होगा नुकसान!
वहीं दूसरी ओर देश में प्याज निर्यातकों के संगठन बागवानी उत्पाद निर्यातक संघ (एचपीईए) ने राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे से केंद्र के साथ 20 फीसदी प्याज निर्यात शुल्क को हटाने का अनुरोध किया है. अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में कोकाटे से मुलाकात की है. इस मीटिंग में कोकाटे से अनुरोध किया गया है कि वह एक बार केंद्रीय स्तर पर प्याज से निर्यात शुल्क हटाने का अनुरोध करें.
कोकाटे ने भी भरोसा दिलाया है कि वह केंद्र सरकार से तत्काल प्रभाव से प्याज पर लगी एक्सपोर्ट ड्यूटी को हटाने की मांग करेंगे. निर्यातकों की मानें तो प्याज की नई फसल की आपूर्ति धीरे-धीरे बढ़ रही है. साथ ही गर्मी के प्याज की खेती का रकबा भी बहुत अधिक है. इससे थोक प्याज की कीमतों में गिरावट आ सकती है. इससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
गिरावट से परेशान किसान
पिछले दिनों विरोध प्रदर्शन के तहत किसानों ने कुछ समय के लिए प्रक्रिया रोक दी थी. इन किसानों ने प्याज की कीमतों में गिरावट के खिलाफ पानी की टंकी पर चढ़कर विरोध प्रदर्शन किया था. गौरतलब है कि रसोई में काम आने वाली एक महत्वपूर्ण चीज प्याज की कीमतों ने इस बार किसानों की नाक में दम कर दिया है. तेजी से हो रही गिरावट से किसान खासे परेशान हैं.
प्रदर्शनकारी किसानों की मांग है की कि प्याज पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क हटाया जाए. उन्होंने दावा किया कि लासलगांव में कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) में कीमतों में गिरावट का कारण यही है, जो एशिया की सबसे बड़ी थोक प्याज मंडी है. प्याज की कीमतों में गिरावट का विरोध करने के लिए पिछले हफ्ते 15 किसान पानी की टंकी पर चढ़ गए. इस वजह से सोमवार को कुछ समय के लिए इसकी नीलामी भी रोक दी गई थी.
20 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी बनी आफत
एक प्रदर्शनकारी किसान ने बताया कि लाल प्याज और गर्मियों की प्याज की फसल दोनों की औसत कीमतों में 300-500 रुपये की गिरावट आई है. प्याज पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क हटाया जाना चाहिए. एपीएमसी के सूत्रों की मानें तो सोमवार यानी 11 मार्च को नीलामी के लिए 11,500 क्विंटल प्याज मंडी में लाया गया था.
प्याज की गर्मियों की फसल के लिए कीमतें न्यूनतम 1,000 रुपये प्रति क्विंटल, अधिकतम 2,201 रुपये प्रति क्विंटल और औसत 1,800 रुपये प्रति क्विंटल थीं. दूसरी ओर, लाल प्याज की कीमतें न्यूनतम 800 रुपये प्रति क्विंटल, अधिकतम 2,005 रुपये प्रति क्विंटल और औसत 1,700 रुपये प्रति क्विंटल थीं . सूत्रों की मानें तो ये कीमतें सिर्फ पांच दिन पहले 2,250-2300 रुपये थीं नतीजतन, किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया.