गेहूं, चावल उगाने वाले पंजाब में एवोकाडो की खेती! किसानों को हो रहा बंपर फायदा

पंजाब के अमृतसर के तहत आने वाले तारागढ़ गांव में इन दिनों हरमनप्रीत सिंह झंड और मलेरकोटला के हथोआ गांव के गुरसिमरन सिंह ने एवोकाडो जैसे विदेशी फल की खेती से मुनाफा कमा रहे हैं.

गेहूं, चावल उगाने वाले पंजाब में एवोकाडो की खेती! किसानों को हो रहा बंपर फायदा
Noida | Updated On: 17 Mar, 2025 | 04:02 PM

पंजाब का नाम लेते ही आपके दिमाग में गेहूं, चावल और गन्‍ने जैसी फसलों के नाम दिमाग में आते होंगे. लेकिन अगर हम आपको बताएं कि यहां के दो किसान अब एवोकाडो भी उगाने लगे हैं तो आप शायद चौंक जाएंगे. पंजाब के अमृतसर के तहत आने वाले तारागढ़ गांव में इन दिनों हरमनप्रीत सिंह झंड और मलेरकोटला के हथोआ गांव के गुरसिमरन सिंह ने एवोकाडो जैसे विदेशी फल की खेती करके विविधीकरण की अवधारणा को नया रूप दे दिया है.

अफ्रीका में सीखी बारीकियां

इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार झंड पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते हैं. वह कोविड महामारी से पहले पूर्वी अफ्रीकी देशों से भारत लौटे. इसके बाद उन्‍होंने पंजाब की मिट्टी में एवोकाडो की खेती को सफलतापूर्वक अपनाया. वह साइंस में ग्रेजुएट हैं और साल 2010 में वह पहले इथियोपिया और फिर केन्‍या चले गए. यहां से वह रवांडा पहुंचे और इन सभी जगहों पर उनका मकसद खेती के नए अवसरों को तलाशना था. उन्‍होंने बताया कि अफ्रीका में उन्‍होंने एवोकाडो की खेती करनी सीखी थी. इसके बाद जब उन्‍हें इसमें ज्‍यादा संभावनाएं नजर आने लगीं तो वहां पट्टे पर जमीन लेकर इसकी खेती शुरू कर दी. झंड ने समय के साथ बाकी अफ्रीकी देशों में भी एवोकाडो की खेती की अपनी कोशिशों को आगे बढ़ाया.

हर साल 80 किलो तक की फसल

झंड ने अपने अफ्रीकी खेतों से कुछ बीज पंजाब में अपने भाई को भेजे और उन बीजों को भाई ने नर्सरी में लगाया. आज एवोकाडो के वो दो पेड़ हर साल करीब 80 किलो तक फल दे रहे हैं. ये पेड़ करीब 10 साल पुराने हैं. झंड जब महामारी से पहले पंजाब लौटे तो कुछ समय के लिए अफ्रीका वापस नहीं जा सके. इसलिए उन्‍होंने यहीं पर पारिवारिक नर्सरी पर ध्यान देने का फैसला किया. फसल की अनुकूलन क्षमता में उनका विश्वास एवोकाडो के साथ उनके पहले सफल प्रयोग से और मजबूत हुआ. उनके दो पेड़ इस बात का सबूत हैं कि यहां पर भी फल जिंदा रह सकता है.

एवोकाडो की 10 किस्‍में

साल 2019 तक उन्होंने अपनी नर्सरी का विस्तार करके एवोकाडो की 4-5 किस्में शामिल कर लीं. इसे बाद में उन्होंने बढ़ाकर 10 किस्में कर दीं जिनमें से कई ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. अब वह सालाना करीब 10,000 एवोकाडो के पौधे तैयार करते हैं. इनमें से ज्यादातर हिमाचल के किसानों को बेचे जाते हैं जबकि बाकी पंजाब में बेचे जाते हैं. पौधों की कीमत 500 रुपये से 1,500 रुपये के बीच है.

झंड ग्राफ्टिंग के जरिए हाइब्रिड पौधों का भी प्रयोग करते हैं. वह अपने पेड़ों के बीजों के साथ-साथ अफ्रीका के बीजों का भी इस्तेमाल करते हैं. उनकी मानें तो ग्राफ्टिंग के जरिए वह जो हाइब्रिड पौधे तैयार करते हैं, वे स्थानीय किस्मों के विपरीत 3-4 साल में फल देना शुरू कर सकते हैं.

झंड के अनुसार एक एकड़ में करीब 150 पौधे लगाए जा सकते हैं और हर पेड़ एक बार बड़ा हो जाने पर सालाना करीब 80 किलो फल देता है. उनकी मानें तो इसकी कीमत 1,200 रुपये है, इसलिए एक पेड़ से 40,000 रुपये से लेकर 96,000 रुपये तक की आय हो सकती है. साथ ही वे यह भी बताते हैं कि वे अपनी नर्सरियों में 60 विभिन्न किस्मों के आम, ब्लूबेरी, सेब, फूल और विभिन्न सब्जियां भी उगाते हैं.

नेचुरल फार्म में उग रहा एवोकाडो

झंड की तरह, गुरसिमरन सिंह ने करीब एक दशक तक आधे एकड़ में एवोकाडो और बाकी विदेशी फलों के साथ परीक्षण किए हैं. अब वह अपने धनोआ नेचुरल फार्म और नर्सरी में एवोकाडो, लोगान और पेकान उगाते हैं. विदेशी फलों की खेती में उनकी यात्रा 2014 में शुरू हुई. उन्होंने उस समय अपने चचेरे भाइयों से आइडिया लेने के बाद पहली बार एवोकाडो की खेती के साथ प्रयोग किया, जो अमेरिका में बसे हुए थे और पंजाब का दौरा कर रहे थे. उन्होंने, गुरसिमरन से एवोकाडो फल मांगा लेकिन यह गांव में उपलब्ध नहीं था. इसलिए उन्‍होंने इसे यहां उगाना शुरू कर दिया. शुरुआती साल चुनौतियों से भरे थे और पौधे नष्‍ट हो जाते थे.

35 पेड़ में उग रहे कई किलो फल

साल 2019 में, उन्होंने 50 एवोकाडो के पेड़ लगाए, जिनमें से 35 बच गए. अगले कुछ वर्षों में, पेड़ों में फल लगने लगे. अब हर पेड़ सालाना 10-12 किलोग्राम फल दे रहा है. अब वह जुलाई में आने वाले रोपण सीजन में अपने एवोकाडो फार्म को आधे एकड़ से बढ़ाकर चार एकड़ करने की योजना बना रहे हैं. ये पौधे उनकी अपनी नर्सरी में तैयार किए जा रहे हैं. उनके पास 12 एकड़ जमीन है, लेकिन उन्होंने अपने प्रयोगों के लिए 4 एकड़ जमीन रखी है और बाकी 8 एकड़ जमीन दूसरे किसानों को पट्टे पर दी है. उन्होंने आगे कहा कि उनकी फर्म एक एकड़ में एवोकाडो का बाग लगाने के लिए 2.50 लाख रुपये लेती है, जिसमें पौधे और सभी आवश्यक तकनीकी जानकारी शामिल है.

Published: 17 Mar, 2025 | 03:58 PM

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