हाइड्रोपोनिक खेती से किसानों को बड़ा फायदा, सरकार दे रही 50% सब्सिडी

इस आधुनिक तकनीक में बिना मिट्टी के सिर्फ पानी में पौधों को उगाया जाता है, जिससे पारंपरिक खेती की तुलना में चार गुना ज्यादा फायदा मिलता है.

हाइड्रोपोनिक खेती से किसानों को बड़ा फायदा, सरकार दे रही 50% सब्सिडी
Noida | Published: 17 Mar, 2025 | 06:36 PM

अगर आप खेती से अच्छी कमाई करना चाहते हैं लेकिन आपके पास ज्यादा जमीन नहीं है, तो चिंता की कोई बात नहीं. हाइड्रोपोनिक खेती एक ऐसी आधुनिक तकनीक है, जो कम जगह में भी ज्यादा उत्पादन देती है. इस आधुनिक तकनीक में बिना मिट्टी के सिर्फ पानी में पौधों को उगाया जाता है, जिससे पारंपरिक खेती की तुलना में चार गुना ज्यादा फायदा मिलता है.

खास बात यह है कि सरकार भी इस तकनीक को बढ़ावा दे रही है और किसानों को इस तकनीक का इस्तेमाल करने पर 50% तक सब्सिडी मिल रही है. देश में किसान इस खेती से होने वाले फायदों की वजह से तेजी से इस तकनीक को अपना रहे हैं. आइए जानते हैं इस अनोखी खेती के बारे में विस्तार से.

हाइड्रोपोनिक खेती क्या है?

हाइड्रोपोनिक खेती मिट्टी के बजाय पोषक तत्वों से भरपूर पानी में पौधों को उगाने की तकनीक है. इस प्रणाली में पानी और आवश्यक पोषक तत्वों को पाइप, टैंकों या कंटेनरों के माध्यम से पौधों तक पहुंचाया जाता है. इस तकनीक से उगाई गई फसलें ज्यादा क्वालिटी और रसायन मुक्त होती हैं. उदाहरण के लिए, एक एकड़ जमीन पर पारंपरिक तरीके से टमाटर उगाने पर 300 क्विंटल उत्पादन मिलता है, जबकि हाइड्रोपोनिक तकनीक से 1200 क्विंटल टमाटर उगाया जा सकता है.

मिल रही सरकारी सब्सिडी

हाइड्रोपोनिक खेती की शुरुआती लागत भले ही अधिक हो, लेकिन सरकार किसानों को 50% तक की सब्सिडी देकर सहायता कर रही है. इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए मध्य प्रदेश के सागर जिले में कृषि विभाग द्वारा डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार की गई है. सरकार का लक्ष्य किसानों को इस नई तकनीक से अवगत कराना और उन्हें कम लागत में अधिक उत्पादन का लाभ दिलाना है. जल्द ही किसानों को इस हाईटेक खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे अपनी उपज को दोगुना-चौगुना कर सकें और खेती को और अधिक लाभदायक बना सकें.

लागत और मुनाफा

हाइड्रोपोनिक खेती की शुरुआत में 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में इस तकनीक को अपनाने के लिए लगभग 60 लाख रुपये का खर्च आता है. हालांकि, सरकार इस लागत का 50% यानी 30 लाख रुपये तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ कम हो जाता है.

इसके अलावा, अगर किसी किसान को अतिरिक्त वित्तीय सहायता की जरूरत होती है, तो वह कम ब्याज दर पर सरकारी लोन भी प्राप्त कर सकता है. इस तकनीक से ज्यादा उत्पादन और उच्च गुणवत्ता वाली फसल मिलने के कारण किसानों को अच्छा मुनाफा भी होता है.

तकनीक से उगाई जाने वाली फसलें

हाइड्रोपोनिक तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कई तरह की सब्जियां और जड़ी-बूटियां आसानी से उगाई जा सकती हैं. यह न केवल उत्पादन बढ़ाने में सहायक होती है, बल्कि इससे फसलों की गुणवत्ता भी बेहतर रहती है. इस तकनीक से टमाटर, मिर्च, खीरा, पालक, मेथी और लेट्यूस जैसी सब्जियां उगाई जा सकती हैं.

वहीं, तुलसी, धनिया, पुदीना, अजवायन, अजमोद, रोज़मेरी और थाइम जैसी जड़ी-बूटियां भी इस प्रणाली में आसानी से पनपती हैं. हाइड्रोपोनिक खेती से तैयार फसलें ताजगी और पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जिससे इनकी बाजार में अधिक मांग और अच्छी कीमत मिलती है.

क्यों करें हाइड्रोपोनिक खेती?

हाइड्रोपोनिक खेती पारंपरिक खेती की तुलना में कई फायदे देती है, जिससे यह किसानों के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन बन रहा है. इस तकनीक में कम जगह में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है, जिससे छोटे किसानों को भी बड़ा लाभ मिल सकता है.

पानी की खपत भी 80-90% तक कम होती है, जिससे यह जल संरक्षण में मददगार साबित होती है. इसके अलावा, इस विधि में रसायनों का इस्तेमाल बेहद कम होता है, जिससे फसलें पूरी तरह से जैविक और उच्च गुणवत्ता वाली होती हैं.

इस खेती में मजदूरी और रखरखाव पर भी कम खर्च आता है, क्योंकि इसमें खरपतवार और मिट्टी से जुड़ी समस्याएं नहीं होतीं. हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगाई गई फसलें ताजा और पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, जिससे बाजार में इनकी मांग अधिक रहती है और किसानों को बेहतर मुनाफा मिलता है.

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