अच्छी फसल के लिए बेहद जरूरी खेत की मिट्टी की जांच, सरकार कर रही किसानों की मदद
किसान अपने कृषि अधिकारी की मदद से निकटतम मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला में नमूने भेज सकते हैं.

मिट्टी परीक्षण योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही है. ये एक अहम योजना में से एक है. इस योजना के तहत किसानों की मिट्टी की जांच की जाती है. इसकी सहायता से किसान अपने खेतों की में मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
इसके बाद किसानों को मिट्टी के अनुसार जरूरी उर्वरक और खाद के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही ये भी बताया जाता कि किस तरह की फसल उनके खेतों के लिए सही रहेगी. इस योजना को मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के नाम से भी जाना जाता है.
मिट्टी परीक्षण क्यों जरूरी है?
बेहतर फसल के लिए जरूरी है कि खेतों की मिट्टी भी स्वस्थ हो. इससे अनाज को संतुलित पोषक तत्व मिलते हैं. ऐसे में किसानों को खेती करने से पहले मिट्टी में मौजूद प्रमुख पोषक तत्वों की मात्रा को जानने के लिए मिट्टी परीक्षण (मिट्टी की जांच) करवाना चाहिए. इसके रिजल्ट के आधार पर किसान सही मात्रा में उर्वरकों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे फसल का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है.
मिट्टी परीक्षण क्या है?
मिट्टी की जांच में खेत की मिट्टी का केमिकल एनालिसिस कर उसमें उपलब्ध पोषक तत्वों की मात्रा जानी जाती है. इसके साथ ही मिट्टी की अम्लीयता, क्षारीयता और लवणीयता की भी जांच की जाती है.
परीक्षण की आवश्यकता क्यों?
किसी भी पौधों के लिए 16 आवश्यक पोषक तत्व जरूरी होते हैं. जिनमें से कुछ तत्व पौधे हवा और पानी के माध्यम से प्राप्त कर लेते हैं, जबकि अन्य मिट्टी से मिलते हैं. लगातार खेती करने से एक समय बाद मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. ऐसे में असंतुलित पोषण से फसलें कमजोर होने के साथ कीट और बीमारियों से प्रभावित हो सकती हैं. मिट्टी परीक्षण से किसानों को सही मात्रा में खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करने की जानकारी मिल जाती है.
मिट्टी परीक्षण के मुख्य उद्देश्य
मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा को जानकर संतुलित उर्वरक का इस्तेमाल करें. मिट्टी की अम्लीयता, लवणीयता और क्षारीयता की पहचान करें और इसे ठीक करने के लिए जरूरी उपाय करें. फलों के बाग लगाने के लिए उपयुक्त भूमि का चयन करने में सहायक हो सकता है.
मिट्टी का नमूना कैसे लें?
मिट्टी परीक्षण का सही परिणाम प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि मिट्टी का नमूना सही तरीके से लिया जाए. इसके लिए खेत में एक समान फसल होनी चाहिए और उर्वरक का इस्तेमाल समान रूप से पूरे खेत में किया गया हो. जब जमीन समतल हो तो पूरे खेत से एक ही नमूना लें. अगर खेत में अलग-अलग स्तर के हिस्से हैं तो अलग-अलग जगह से नमूने लें.
नमूना एकत्र करने की प्रक्रिया
खेत में जिग-जैग तरीके से 10-15 स्थानों पर निशान बनाएं. इसके बाद घास-फूस और कचरा हटाकर 15 सें.मी. गहरा वी-आकार का गड्ढा बनाएं. फिर खुरपी से गड्ढे की एक ओर से 2 से.मी. मोटी मिट्टी निकालें और साफ बाल्टी में डालें. जमा की गई मिट्टी को अच्छी तरह मिलाएं और चार भागों में बांटें. दो भाग हटाकर शेष मिट्टी फिर से मिलाएं. यह प्रक्रिया दोहराते हुए आधा किलो मिट्टी रखें.
इसे साफ प्लास्टिक और कपड़े की थैली में डालकर इन्फॉर्मेशन शीट अटैच करें. सैंपल जमा करने के लिए आवश्यक सामग्री जरूरी है. खुरपी, फावड़ा, बाल्टी, कपड़े या प्लास्टिक की थैलियां, पेन, धागा, इन्फॉर्मेशन आदि रखें.
मिट्टी परीक्षण लैबोरेटरी में एनालिस्ट
किसान अपने कृषि अधिकारी की मदद से निकटतम मिट्टी की टेस्टिंग करने वाली लैबोरेटरी में नमूने भेज सकते हैं. वहां कार्बनिक कार्बन, पीएच स्तर, इलेक्ट्रिक कंडेक्टिविटी , नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा की टेस्टिंग की जाती है.
नमूना लेने के समय सावधानियां
खाद के ढेर, पेड़ों, मेड़ों और रास्तों के पास से नमूना न लें. साफ औजारों और थैलियों का इस्तेमाल करें. इन्फॉर्मेशन शीट के साथ नमूना भेजें.
मिट्टी टेस्टिंग की फीस
टेस्टिंग के लिए सामान्य किसानों के लिए ₹5 प्रति सैंपल और अनुसूचित जाति/जनजाति किसानों के लिए ₹3 प्रति सैंपल है.
ट्रेस एलिमेंट टेस्टिंग
सामान्य टेस्टिंग से इतर ट्रेस एलिमेंट टेस्टिंग की बात करें तो सामान्य किसानों के लिए ये आंकड़ा ₹40 प्रति नमूना है. अनुसूचित जाति/जनजाति किसानों के लिए ₹30 प्रति सैंपल है.